सुंदरवन के पानी का तापमान तेजी से बंढ रहा है। तीन दशकों से यह लगातार 0-5 डिग्री सेल्सियस की प्रति दशक से बढ रहा है। विज्ञान जनरल 'करेंट साइंस' में यह खुलासा किया गया है।
भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने 1980 से लगातार 27 साल के अपने अध्ययन में पाया है कि इसके इलाके के भूतल के तापमान में 1.5 डिग्री का इजाफा हुआ है। अगर इसी गति से यह तापमान बढता रहा, तो यहाँ की वन्य प्रजातियां लुप्त हो जाएंगी।
यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल सुंदर भारत और बांग्लादेश की सीमाओं में फैला है, जहाँ पर अनेक लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाती हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है यहां की नदी के मुहानों पर गाद एवं ठोस अपशिष्ट जमा हो रहे हैं, जिससे ताजा जल का प्रवाह बाधित हो रहा है और पारिस्थिकी तंत्र भी बिगड़ रहा है।
इस बदलाव पर ध्यान देने की आवश्यकता है, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब सुंदर वन वीरान वन में बदल जाएगा और हम हाथ मलते रह जाएँगे।
मेरी नज़र से
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी संचार परिषद द्वारा उत्प्रेरित एवं समर्थित।
19 अक्तू॰ 2010
16 सित॰ 2010
आवारा कुत्तों का उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए।
पिछले दिनो अखबार में एक खबर छपी कि एक पागल कुत्ते ने 50 लोगो को काट लिया। ये बात सब को मालूम है कि पागल कुत्ते के काटने से रेबीज नामक बीमारी हो जाती है। रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज नही है। जिस किसी को यह बीमारी हो जाती है, वह कुत्ते से भी बदतर मौत मरता है। इसीलिए सरकार द्वारा यह ऐलान अक्सर किया जाता है कि जाता है कि जो लोग कुत्तों को पालते हैं, उन्हें समय समय पर रेबीज रोधी टीका जरूर लगवा लें।
सवाल ये है कि पालतू कुत्तो को तो टीका लगवा लिया जाए, लेकिन जो कुत्ते गली मोहल्लों मे घूमते है उनको टीका कैसे लगवाया जाए। इससे निपटने के लिए नगर निगम वाले अक्सर आवारा कुत्तो को पकड कर दूसरे मोहल्लो में भेज आते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे वी आई पी कालोनी वाले लोग कुत्तो के कहर से बचे रहे। लेकिन ऐसा करना उचित नही हैा क्योकि जिस कुत्ते को नये इलाके मे छोडा जाता है, उसे उस इलाके के कुत्ते चैन से नहीं रहने देते। वे उसे नोच खसोट देते हैं। ऐसे में कुत्ते चिडचिडे हो जाते है और भोजन न मिलने पर लोगों को काटने लगते हैं।
इसलिए नगर निगम को चाहिए कि आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए कोई वैज्ञानिक तरीका अपनाए, जिससे आम लोगो को रेबीज के कहर से बचाया जा सके।
सवाल ये है कि पालतू कुत्तो को तो टीका लगवा लिया जाए, लेकिन जो कुत्ते गली मोहल्लों मे घूमते है उनको टीका कैसे लगवाया जाए। इससे निपटने के लिए नगर निगम वाले अक्सर आवारा कुत्तो को पकड कर दूसरे मोहल्लो में भेज आते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे वी आई पी कालोनी वाले लोग कुत्तो के कहर से बचे रहे। लेकिन ऐसा करना उचित नही हैा क्योकि जिस कुत्ते को नये इलाके मे छोडा जाता है, उसे उस इलाके के कुत्ते चैन से नहीं रहने देते। वे उसे नोच खसोट देते हैं। ऐसे में कुत्ते चिडचिडे हो जाते है और भोजन न मिलने पर लोगों को काटने लगते हैं।
इसलिए नगर निगम को चाहिए कि आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए कोई वैज्ञानिक तरीका अपनाए, जिससे आम लोगो को रेबीज के कहर से बचाया जा सके।
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