16 सित॰ 2010

आवारा कुत्तों का उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए।

पिछले दिनो अखबार में एक खबर छपी कि एक पागल कुत्ते ने 50 लोगो को काट लिया। ये बात सब को मालूम है कि पागल कुत्ते के काटने से रेबीज नामक बीमारी हो जाती है। रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज नही है। जिस किसी को यह बीमारी हो जाती है, वह कुत्ते से भी बदतर मौत मरता है। इसीलिए सरकार द्वारा यह ऐलान अक्सर किया जाता है कि जाता है कि जो लोग कुत्तों को पालते हैं, उन्हें समय समय पर रेबीज रोधी टीका जरूर लगवा लें।

सवाल ये है कि पालतू कुत्तो को तो टीका लगवा लिया जाए, लेकिन जो कुत्ते गली मोहल्लों मे घूमते है उनको टीका कैसे लगवाया जाए। इससे निपटने के लिए नगर निगम वाले अक्सर आवारा कुत्तो को पकड कर दूसरे मोहल्लो में भेज आते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे वी आई पी कालोनी वाले लोग कुत्तो के कहर से बचे रहे। लेकिन ऐसा करना उचित नही हैा क्योकि जिस कुत्ते को नये इलाके मे छोडा जाता है, उसे उस इलाके के कुत्ते चैन से नहीं रहने देते। वे उसे नोच खसोट देते हैं। ऐसे में कुत्ते चिडचिडे हो जाते है और भोजन न मिलने पर लोगों को काटने लगते हैं।

इसलिए नगर निगम को चाहिए कि आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए कोई वैज्ञानिक तरीका अपनाए, जिससे आम लोगो को रेबीज के कहर से बचाया जा सके।